आज के इस आर्टिकल में Hindi Grammar के अंतिम भाग रस (Ras), छन्द (Chhand) और अलंकार (Alankar) के बारे में बताया गया हैं। मैंने इस वेबसाइट HindiDeep.Com पर एक-एक करके सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण भाषा से लेकर विराम-चिन्ह तक बता दिया हैं।
Ras, Chhand और Alankar in Hindi Grammar | Ras, Chhand और Alankar Kise Kahate Hain
📌 रस ‘काव्य’ की आत्मा हैं।
खंजन मंजु तिरीछे नैननि। निजपति कहहि तिन्हहीं सिय सैननि।।
जौ राउर अनुसासन पाऊँ। कंदुक इव ब्रह्माण्ड उठाऊँ। काँचे घट जिमि डारऊँ फोरी। सकऊँ मेरु-मूलक इव तोरी।।
#. 3 . हास्य रस | 4 . रौद्र रस | 5 . भयानक रस | 6 . अद्भुत रस | 7 . वीभत्स रस | 8 . करुण रस | 9 . शांत रस।
**************************************
(Q.) छन्द किसे कहते हैं और छन्द के कितने भेद होते हैं।
छन्द (Chhand) – जो पद रचना, वर्ण, वर्ण की गणना, क्रम, मात्रा, मात्राओं की गणना, गति आदि नियमो से निबद्ध हो, उसे ‘छन्द’ कहा जाता हैं।
छन्द के भेद या प्रकार – Chhand Ke Bhed in Hindi
मात्रा और वर्णक्रम के आधार पर छन्दों के दो भेद हैं –
#. (1.) मात्रिक छन्द – जिस छन्द में केवल मात्राओं को निश्चित संख्या का बंधन होता हैं, वर्ण-संख्या घट-बढ़ सकती हैं, उसे मात्रिक छन्द कहा जाता हैं।
#. (2.) वर्णिक छन्द – जिस छन्द में वर्ण संख्या और मात्रा-क्रम का संयोजन होता है और जहाँ वर्णों की मात्राओं का क्रम मुख्य होता है, उसे वर्णिक छन्द कहा जाता है।
मात्रा-संख्या और वर्णक्रम के अनुसार छन्दों के भेद हैं –
#. (1.) सम छन्द – जिन छन्दों में चारों चरणों में मात्रा संख्या या वर्ण-क्रम एक समान होता है, उसे सम छंद कहा जाता हैं। जैसे – चौपाई, रोला।
#. (2.) अर्द्धसम छन्द – जिन छंदों में ‘पहले और तीसरे’ तथा ‘दूसरे और चौथे’ चरणों में मात्रा संख्या और वर्ण-क्रम समान होता है, उन्हें अर्द्धसम छन्द कहा जाता हैं। जैसे – दोहा, सोरठा।
#. (3.) विषम छन्द – जिन छन्दों के चरणों में मात्राओं और वर्णों की संख्या और में असमानता हो, उन्हें विषम छन्द कहा जाता हैं। जैसे – कुंडलिया।
*********************************************
(Q.) अलंकार किसे कहते हैं और अलंकार के कितने भेद होते हैं।
अलंकार (Alankar) – भाषा को शब्दों के अनुपम अर्थ से सुसज्जित करने वाले चमत्कारपूर्ण ढंग को अलंकार कहा जाता। हैं
अलंकार के भेद या प्रकार – Alankar Ke Bhed in Hindi
अलंकार के तीन भेद होते है :
#. (1.) शब्दालंकार – यह शब्दों के चमत्कार और लयात्मकता पर आधारित है। शब्दालंकार के भेद – अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोकित।
#. (2.) अर्थालंकार – जहाँ अर्थ में चमत्कार हो, वहाँ ‘अर्थालंकार’ होता हैं। अर्थालंकार के भेद – रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा, विरोधाभास।
#. (3.) उभयालंकार – जहाँ शब्द और अर्थ दोनों का चमत्कार रहता है, उसे उभयालंकार कहा जाता हैं।
Final Thoughts –
सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण की सूचि – Complete Hindi Grammar List.