पत्र लेखन – Patra Lekhan in Hindi Grammar

आज के इस आर्टिकल में हम हिंदी व्याकरण के भाग पत्र लेखन (Letter Writing in Hindi) के बारे में पढ़ेंगे।

जिसमें हम पत्र लिखने का नियम और पत्रों के प्रकारों के बारे में पढ़ेंगे। इस पोस्ट से पहले हमने कहानी लिखने के बारे में सीखा था।

अगर आपने कहानी लिखने के नियम को नहीं पढ़ा तो इसे भी आप पढ़ सकते हैं तो चलिए अब हम आज का यह आर्टिकल (Patra Lekhan in Hindi Grammar) को शुरू करते हैं।

पत्र लेखन – Patra Lekhan (Letter Writing) in Hindi

मन के भावों एवं विचारों को व्यक्त करने के लिए पत्र एक उत्तम माध्यम है। इसके द्वारा हम अपने मन के भावों की अभिव्यक्ति अपने से दूर रहने वाले सगे-सम्बन्धियों एवं अन्य लोगों को करते हैं। पत्र लिखते समय कुछ मुख्य बातों पर ध्यान रखना चाहिए।

पत्र लिखने के नियम (Hindi Patra Lekhan) –

1 . पत्र में अभिव्यक्ति स्वाभाविक विधि से होनी चाहिए। जैसे, हम दो व्यक्ति आमने सामने बातचीत करते हैं, ठीक उसी तरह स्वाभाविक प्रवाह से युक्त भाषा का प्रयोग पत्र में व्यक्त करना चाहिए।

2 . पत्र को अनावश्यक विचारों या तथ्यों से भरकर बहुत लम्बा नहीं करना चाहिए।

3 . पत्र को प्रारंभ करते समय पत्र के ऊपर दाहिनी ओर स्थान का नाम और उसके नीचे दिनांक लिखा जाना चाहिए। ऊपर बाईं ओर जिसे पत्र लिखा जा रहा है, उसके लिए उपयुक्त सम्बोधन और उसके नीचे उपयुक्त अभिवादन का शब्द लिखा जाना चाहिए।

नए अनुच्छेद से पत्र प्रारंभ करना चाहिए। पहले कुशलादि के बाद मुख्य विषय लिखा जाना चाहिए नीचे दाहिनी ओर उपयुक्त अभिवेदन लिखकर अपना नाम लिखना चाहिए। अपने नाम से उपाधि हटा देना चाहिए। नीचे बाई ओर पत्र प्राप्त करने वाले का पता लिखना चाहिए।

नमूना

4 . पत्र की भाषा जहाँ तक संभव हो सरल, प्रवाहपूर्ण एवं स्पष्ट होनी चाहिए।

5 . पत्र के ऊपर पता लिखते समय खूब सावधानी बरतनी चाहिए। पत्र पानेवाले का नाम, ग्राम, मुहल्ला, डाकघर, जिला और राज्य लिखना जरूरी है।

अन्त में डाकघर का पिनकोड अवश्य लिखना चाहिए। डाकघर एवं जिले के नाम छूट जाने पर भी पिनकोड के रहने पर पत्र निश्चित व्यक्ति के पास पहुँच जाता है।

पत्र के प्रकार (Types of Letter in Hindi) –

पत्र कई प्रकार के होते हैं जिनमें प्रमुख हैं : –

1 . निजी पत्र

2 . व्यावसायिक पत्र

3 . आधिकारिक पत्र

4 . कार्यालय सम्बन्धी पत्र


1 . निजी पत्रों के नमूने

निजी पत्रों के अन्दर सम्बन्धियों के पत्र, निमन्त्रण पत्र, बधाई पत्र आदि आते हैं।

(क) पिता का पत्र पुत्र के नाम

कन्हैया चौक

10 जुलाई, 2022

प्रिय सन्तोष,

आशीर्वाद।

यहाँ सभी सानन्द एवं प्रसन्न हैं। आशा है तुम भी विद्याभ्यास में संलग्न होगे। पिछले पत्र में तुमने पेट खराब हो जाने की बात लिखी थी।

छात्रों के लिए यह एक बुरी बीमारी है, जो संयम के अभाव से होती है। समय पर अपने सभी कार्यों को करने वाले छात्र सदा स्वस्थ रहते हैं।

तुम्हारे स्वस्थ रहने पर ही अच्छी पढ़ाई हो सकेगी, क्योंकि स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ ‘मस्तिष्क का निवास होता है।

अतः समय की पाबन्दी रखो और सुबह उठकर व्यायाम करो । इससे तुम्हारा शरीर स्वस्थ होगा और मन भी प्रसन्न रहेगा। तुम्हार स्वेटर व सामान डाक से भेज रहा हूँ। मिलने की सूचना देना।

संतोष कुमार मिश्र,

सेंट जेवियर्स स्कूल,

राँची (पिनकोड)

तुम्हारा पिता

विपिन


(ख) पुत्र का पत्र पिता के नाम

जमालपुर

12 अक्टूबर, 2022

पूज्यवर पिताजी,

सादर प्रणाम।

मैं सानन्द एवं स्वस्थ हूँ । आशा है आप भी सकुशल होंगे। पिताजी, जब से मैंने आपके निर्देशानुसार व्यायाम करने एवं समय पर अपने कार्यों को करने की आदत डाली है, तब से मैं बिलकुल स्वस्थ हूँ।

डाक द्वारा भेजा गया सामान मिल गया है। इधर शिक्षक ने मुझे कुछ किताबें खरीदने का निर्देश दिया है। इसके लिए एक हजार रुपये यथाशीघ्र भेजें। माताजी को मेरा प्रणाम कर देंगे। पप्पी और गुड़िया को मेरा मीठा-मीठा प्यार।

सेवा में,

श्री विपिनचन्द्र मिश्र,

तोपखाना बाजार मुंगेर – 851339

आपका आज्ञाकारी पुत्र संतोष

संतोष


(ग) प्रीतिभोज का निमन्त्रण पत्र

भागलपुर

10 मार्च, 2022

प्रिय मित्र अजय,

सप्रेम वन्दे।

10 मार्च, 2012 अष्टम वर्ग की परीक्षा में उत्तीर्णता प्राप्त करने की खुशी में मैंने अपने सभी मित्रों को 15.03.2012 को रात्रि में प्रीतिभोज पर बुलाया है। मेरी हार्दिक इच्छा है कि तुम भी इस मधुर अवसर पर अवश्य सम्मिलित होओ।

सेवा में,

अजय कुमार

वासुदेवपुर मुहल्ला

मुंगेर – 851345

तुम्हारी प्रतीक्षा में

रोशन


(घ) बधाई पत्र

काशी

20 जून, 2022

प्रिय सुनील,

मंगलकामना

यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि तुमने इस वर्ष अष्टम बोर्ड की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। तुम्हारी इस शानदार सफलता के लिए हार्दिक बधाई। आशा करता हूँ कि भविष्य में भी इसी तरह सफलता तुम्हारे चरण चूमती रहे। कृपालु ईश्वर तुम्हें जीवन में सफलता दे।

सेवा में,

सुनील कुमार मिश्र,

भिखना पहाड़ी

पटना – 800004

भवदीय

प्रेमचन्द


2 . व्यावसायिक पत्र का नमूना

दिनांक 1.7.2022

सेवा में,

व्यवस्थापक महोदय उपहार प्रकाशन,

खजाँची रोड, पटना – 800 004

महाशय !

आपके प्रकाशन की कुछ पुस्तकें स्थानीय बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। मुझे आपके प्रकाशन की कुछ पुस्तकों की बहुत जरूरत है। “अतः निम्नांकित पुस्तकों की एक-एक प्रति वी. वी. पी. पार्सल से भेजने की कृपा करें। पार्सल मिलते ही यथाशीघ्र छुड़ा लूँगा। शीघ्र जवाब के लिए धन्यवाद ।

पुस्तकों की सूची:

1 . उपहार गाइड ऑल इन वन अष्टम वर्ग

2 . उपहार गाइड आय-सह-मेधा छात्रवृत्ति

3 . उपहार संस्कृत भाषा भाष्कर

मेरा पता :

नाम : भुवन रंजन

ग्राम + पो. : कन्हैया चौक

जिला : खगड़िया (पिनकोड)

भवदीय

भुवन रंजन


3 . आधिकारिक पत्रों के नमूने

(क) परीक्षा शुल्क माफ करने के लिए प्रार्थना-पत्र

सेवा में,

श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,

उच्च विद्यालय, तुलसीपुर

महाशय !

नम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के अष्टम वर्ग का निर्धन छात्र हूँ। मेरे पिता खेतिहर मजदूर हैं। किसी तरह परिवार का पालन-पोषण वे कर रहे हैं।

अभी-अभी वार्षिक परीक्षा में भाग लेने के लिए परीक्षा शुल्क की माँग वर्ग शिक्षक ने की है। मेरे जैसे निर्धन छात्र के लिए यह शुल्क भारी बोझ जैसा प्रतीत हो रहा है।

अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि मेरा परीक्षा शुल्क माफ करने की कृपा की जाय, जिससे मैं परीक्षा में बैठ सकूँ एवं अगले वर्ग के लिए उत्तीर्णता प्राप्त कर सकूँ।

दिनांक : 20.09.2012

आज्ञाकारी छात्र

सुरेश यादव

वर्ग – अष्टम


(ख) पोस्टमैन की शिकायत

श्रीमान् अधीक्षक महोदय,

(पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ)

भागलपुर मंडल, भागलपुर

महाशय !

सेवा में निवेदन है कि सोन्हौला बाजार में अवस्थित डाकखाने के डाकिया अपने कर्तव्य का पालन ठीक ढंग से नहीं करते हैं।

समय पर पत्र नहीं बाँटे जाते हैं, बहुत सारे पत्र गायब भी हो जाते हैं। बार-बार समझाने पर भी पत्रों के बाँटने में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है।

श्रीमान् से निवेदन है कि इस डाकिए के विरुद्ध उचित कार्यवाही की जाए, जिससे हमारे पत्र आदि समय पर मिल सके। आशा है, श्रीमान् समुचित कदम उठाकर शिकायत पर ध्यान देंगे।

दिनांक 5.11.2012

विश्वासभाजन

राजरंजन सिन्हा


4 . कार्यालय सम्बन्धी पत्रों के नमूने

प्रेषक :

प्रधानाध्यापक

राजकीय बुनियादी विद्यालय

भूड़िया (भागलपुर)

सेवा में,

अंचलाधिकारी महोदय,

सोन्हौला अंचल कार्यालय, सोन्हौला

महोदय !

निवेदन है कि हमारे विद्यालय की सरकारी जमीन का अधिग्रहण, ग्रामीण धीरे-धीरे करते जा रहे हैं। बार-बार रोकने के बावजूद लोग नहीं मानते और विद्यालय की जमीन को अपनी जमीन बताते हैं।

अतः श्रीमान् से निवेदन है कि अंचल अमीन के द्वारा विद्यालय की जमीन की सीमा निश्चित करा दी जाए और सरकारी सम्पत्ति को अधिग्रहण से बचाया जाय।

दिनांक : 15.07.2012

विश्वासभाजन

सुरेश पांडेय


5 . तार (टेलीग्राम) के नमूने

1 . गम्भीर हालत की सूचना :

(क) पिता अस्वस्थ शीघ्र आओ। – राजेन्द्र

(ख) भाई दुर्घटना ग्रस्त। शीघ्र आओ। – राजकुमार

2 . मृत्यु की सूचना :

(क) पिता स्वर्गवासी। तुरंत आओ। – बेनु गोपाल

(ख) माँ स्वर्गवासी। शीघ्र आओ। – राधानाथ

3 . बधाई का तार :

(क) सफलता के लिए बधाई । – नन्दन

(ख) सप्रेम शुभकामनाएँ । – नीरज

(ग) नव वर्ष मंगलमय हो – रंजन

4 . विवाह सम्वन्धी तार :

(क) वैवाहिक जीवन सुखमय हो – रोशन

(ख) वर-वधू को आशीर्वाद । – अंशु


6 . ई-मेल

1 . अपने नगर में मच्छरों के बढ़ते हुए प्रकोप पर उचित कार्यवाही के लिए नगर निगम/नगरपालिका के स्वास्थ्य पदाधिकारी को ई-मेल द्वारा पत्र लिखिए।

From : Vikash @ sancharnet.com

To : [email protected]

Date : Tuesday. Oct. 10, 2012 10 am.

Subject : Requesting action to contain Malaria.

महोदय,

मैं आपका ध्यान पटना नगर में मच्छरों के बढ़ते हुए प्रकोप की ओर दिलाना चाहता हूँ। यहाँ मच्छरों का प्रकोप तो पहले से ही है।

वर्षा के दिनों में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी मच्छरों का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ गया है। इनके प्रकोप से दिन हो या रात, कभी चैन नहीं। लोगों का जीना हराम हो गया है। इसका कारण है कि यहाँ के नाले सदा जाम रहते है।

सड़े पानी बजबजाते रहते हैं। इससे मच्छरों की वृद्धि स्वाभाविक ही है। डी. डी. टी. और अन्य मच्छरनाशी दवाओं का कभी छिड़काव होता ही नहीं। मच्छरों के काटने से तीव्रज्वर, मलेरिया आदि कई बीमारियाँ फैलती जा रही है।

इधर डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी फैलने की बातें भी सुनने में आ रही हैं। अतः आपसे सादर अनुरोध है कि मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से हमें यथाशीघ्र छुटकारा दिलाने की कृपा करें।

सधन्यवाद।

2 . शिक्षा निदेशक को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए ई-मेल से एक आवेदन पर लिखिए।

From : Salma @ cybo.com

To : Education @vsnl.net.in nic

Date : Monday May 21, 2012: 11.30 a.m.

Subject : Requesting for Scholarship.

महोदय,

दिनांक 7 मई 2012 के दैनिक हिन्दी समाचार पत्र ‘हिन्दुस्तान’ में शिक्षा मंत्रालय की ओर से निर्धन विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति हेतु आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। उस छात्रवृत्ति के लिए मैं भी अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कर रही हूँ।

महोदय! मैं आर. डी. कन्या माध्यमिक विद्यालय, रामदयालु नगर, मुजफ्फरपुर में कक्षा आठ की छात्रा हूँ। मेरे पिताजी का निधन हो चुका है। मेरी माताजी दूसरों के कपड़े सीकर किसी प्रकार घर का खर्च चलाती है। अपने परिवार के कुल पाँच सदस्यों में मैं ही दो भाइयो और एक बहन से बड़ी हूँ।

अर्थाभाव की चक्की में पिसती हुई मैं अपनी पाठ्यपुस्तके खरीदने में पूरी तरह से असमर्थ हूँ। इस कारण मेरी पढ़ाई बाधित हो रही है। मैं उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हूँ। यदि आपकी कृपा हो जाए, तो मेरी आकांक्षा की पूर्ति हो सकती है।

अतः आपसे सादर अनुरोध है कि यथाशीघ्र छात्रवृत्ति प्रदान कर मुझे कृतार्थ करें।

सधन्यवाद।



पत्र लेखन के उदाहरण (Patra Lekhan Examples in Hindi) –

1 . आप अपने विवाह में दहेज नहीं लेना चाहते हैं। इस आशय का अपना मन्तव्य अपने पिताजी के पास पत्र के माध्यम से अभिव्यक्त करें।

उत्तर : –

छात्रावास, मध्य विद्यालय, चतरा

जिला – हजारीबाग (झारखंड)

19 मई, 2022

पूज्यवर पिताजी,

सादर चरण स्पर्श।

आपका कृपा पत्र आज ही मिला है। मुझे यह पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई कि दीदी का शुभ विवाह अगले सप्ताह होना निश्चित हो गया है।

दीदी के लिए सुयोग्य वर ढूंढने में आपको आरम्भ में थोड़ी कठिनाई अवश्य हुई, पर समाज में भले व्यक्तियों की भी कमी नहीं है।

श्रीमान नन्द किशोर बाबू के प्रति हम हृदय से आभारी है, जिन्होंने अपने डॉक्टर सुपुत्र के लिए दीदी को स्वीकार किया। मुझे इस बात से हार्दिक प्रसन्नता है कि उन्होंने बिना किसी शर्त के यह सम्बन्ध स्वीकार किया है।

आधुनिक समाज के लिए दहेज प्रथा एक भयंकर अभिशाप है। दहेज लेना और देना- दोनों कानून की दृष्टि में दण्डनीय अपराध है।

पर कुछ स्वार्थी और लोभी व्यक्ति कानून को भी धत्ता बता रहे हैं। इस दहेज दानव ने कितने ही घरों को बर्बाद किया है। कितनी ही कन्याओं ने आत्महत्या कर ली हैं, कितनी ही आजन्म कुँवारी रह गई हैं। कितनी ही बेमेल विवाह के कारण युवावस्था में ही वैधव्यजन्य दारुण दुखों को झेलने के लिए विवश हैं।

इस सन्दर्भ में मैंने गहन विचार किया है। मेरा दृढ़ निश्चय है कि मैं अध्ययन मनोयोगपूर्वक पूर्ण करूँगा तथा किसी उच्च पद पर प्रतिष्ठित होऊंगा।

मैं अपना विवाह बिना किसी तिलक दहेज के करूँगा। हाँ, विवाह के सम्बन्ध में मेरी एक यही शर्त रहेगी कि लड़की कुशल गृहिणी, सुशीला और सुशिक्षिता हो, भले ही वह अत्यन्त निर्धन परिवार की ही क्यों न हो। पिताजी, मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप मेरे विचारों से अवश्य सहमत होंगे। पूज्या माँ को मेरा सादर चरणस्पर्श एवं मुकुल को शुभ प्यार।

सेवा में,

आनन्द मोहन

ग्राम + पोस्ट – रामनगर (गया)

आपका प्यारा पुत्र

विपुल


2 . अपने गाँव या मोहल्ले की समस्याओं की चर्चा करते हुए ‘दैनिक हिन्दुस्तान’ पटना के सम्पादक के नाम एक पत्र लिखें।

उत्तर : –

सेवा में,

श्रीमान् सम्पादक,

दैनिक हिन्दुस्तान, पटना ।

महोदय,

मैं सैदपुर मोहल्ला, पटना-4 वार्ड नं. 43 का निवासी हूँ। आपके लोकप्रिय दैनिक समाचारपत्र के माध्यम से मै अपने मोहल्ले की पश्चिमी गली की विभिन्न समस्याओं की ओर पटना नगर निगम के प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ।

गली में सड़क नाम की कोई चीज नहीं है। गली के रास्ते गड्ढों में बदल चुके हैं। ये गड्डे हमेशा बदबूदार पानी और कीचड़ से भरे रहते हैं। कूड़ा फेंकने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण वे सड़कों पर ही बिखरे पड़े रहते हैं।

कूड़ों की सड़ांध से उत्पन्न दुर्गन्ध ने मोहल्ले के निवासियों और अन्य राहगीरों का चलना दूभर कर दिया है। स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। गली में रोशनी का भी कोई प्रबन्ध नहीं है। रात में इस गली से गुजरनेवालों की दुर्गति का वर्णन करना अत्यन्त कठिन है।

छोटे बच्चे क्या, बड़े भी इस मोहल्ले से गुजरते हुए एक बार काँप उठते हैं। सच कहा जाए तो इस मोहल्ले के निवासी नारकीय जीवन जीने के लिए विवश हैं। वह दिन दूर नहीं, जब यहाँ कोई भयंकर महामारी न फैल जाय। अतः आपसे अनुरोध है कि हमारे मोहल्ले की समस्याओं का समाधान यथाशीघ्र करने की कृपा करें।

दिनांक – 15-11-2022

विश्वासभाजन

नरेन्द्र कर्ण

पश्चिमी सैदपुर, वार्ड नं. – 4

पटना – 800004


3 . अपनी माँ के पास एक पत्र लिखें जिसमें वर्णन हो कि आप गर्मी की छुट्टी में शांति निकेतन जाना चाहते हैं। शांति निकेतन की विशेषता का भी वर्णन होना चाहिए।

उत्तर : –

राजेन्द्र नगर

रोड नं. 6, पटना – 800016

25 मई, 2022

परम पूज्या माँ,

सादर चरणस्पर्श।

आपका कृपा पत्र कल ही प्राप्त हुआ। आपको यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि विगत परीक्षा में मुझे अपनी कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त हुए हैं।

माँ, कुछ ही दिनों के पश्चात् गर्मी की छुट्टी होने वाली हैं। उस अवसर पर मेरे विद्यालय से छात्रों का एक दल शांति निकेतन जानेवाला है। मैं भी उस दल में सम्मिलित होना चाहता हूँ। इस हेतु मुझे आपकी आज्ञा की अपेक्षा है।

शांति निकेतन अपने देश में एक विशिष्ट शिक्षण संस्थान के रूप में स्थापित है। इसकी स्थापना कवि शिरोमणि रवीन्द्रनाथ ठाकुर (टैगोर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर ने की थी। शांति निकेतन आज विश्वभारती के नाम से प्रसिद्ध है।

यह पश्चिम बंगाल के बोलपुर नामक स्थान में अवस्थित है। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस शिक्षा केन्द्र को अपने संरक्षण में सजाया सँवारा है। यह शिक्षण संस्थान कई विशेषताओं से युक्त है। यहाँ के शिक्षक छात्र पूर्णतः अनुशासित हैं।

शिक्षक और छात्र एक साथ रहते हैं। विद्यालय का कार्यक्रम प्रातः कालीन सामूहिक प्रार्थना से आरम्भ होता है। संध्याकाल में भी सामूहिक प्रार्थना होती है। खुले मैदान या पेड़ के नीचे पठन-पाठन का कार्य होता है। यहाँ सैद्धान्तिक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक शिक्षा भी दी जाती है।

यहाँ कला और विज्ञान के अतिरिक्त संगीत और चित्रकला की भी शिक्षा दी जाती है। यहाँ संगीत, खासकर रवीन्द्र संगीत की विशिष्ट शिक्षा दी जाती है।

शहर के वातावरण से दूर अध्ययन-अध्यापन का यह अनूठा शिक्षा केन्द्र है। शांति निकेतन में विद्यालय स्तर से विश्वविद्यालय स्तर तक की शिक्षा दी जाती है। यहाँ देश-विदेश के प्रतिभाशाली शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते हैं।

अपनी विविध विशेषताओं के कारण शांति निकेतन का भारत ही नहीं विश्व में गौरवपूर्ण स्थान है। माँ, शांति निकेतन जाकर मुझे बहुत कुछ सीखने-समझने का अवसर प्राप्त होगा। घर के सभी बड़ों को मेरा सादर प्रणाम और बच्चों को शुभ प्यार सुना देंगी।

पता : श्रीमती शारदा सिन्हा

C/o – श्री अवधेश सिन्हा

कुमार बाग (प. चम्पारण)

आपका प्रिय पुत्र

अविनाश


4 . अपने बड़े भाई को एक पत्र लिखें जिसमें बोधगया के ऐतिहासिक महत्त्व का संक्षेप में चित्रण हो ।

उत्तर : –

राजकीय मध्य विद्यालय

छात्रावास, गया

15 सितम्बर, 2012

पूज्य बड़े भैयाजी,

सादर चरणस्पर्श।

आपका कृपा पत्र आज ही मिला है। पढ़कर हार्दिक प्रसन्नता हुई। आपने अपने पत्र में बोधगया के ऐतिहासिक महत्त्व के बारे में जानना चाहा है। लीजिए, इस पत्र में मैं बोधगया के ऐतिहासिक महत्त्व के बारे में वर्णन कर रहा हूँ।

गया शहर से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर बोधगया स्थित है। यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। फल्गु नदी के पट से कुछ ही दूर बोधगया हिन्दुओं और बौद्धों का महान तीर्थस्थल है। आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले राजकुमार सिद्धार्थ गृहत्याग के पश्चात् संन्यासी के रूप में इधर-उधर भटकते हुए गया के निकट इस स्थान पर पहुँचे।

वहाँ एक पीपल वृक्ष के नीचे तपस्या आरम्भ कर दी। घोर तपस्या के फलस्वरूप इन्हें ज्ञान (बुद्धत्व) की प्राप्ति हुई। ज्ञान-प्राप्ति के पश्चात् ये भगवान बुद्ध कहलाए। जिस पीपल के वृक्ष के नीचे इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई, वह बोधिवृक्ष कहलाया। उसी बोधिवृक्ष के नीचे एक बौद्ध मन्दिर है। मन्दिर के भीतर भगवान बुद्ध की एक भव्य प्रतिमा है।

मन्दिर के ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हैं। मन्दिर के आगे पत्थर रूप में सात विकसित कमल-दल है। कहते हैं कि वे भगवान बुद्ध के चरण-चिह्न हैं। मुख्य मन्दिर के आस-पास ही चीन, जापान, थाइलैण्ड, बर्मा एवं मलेशिया के आकर्षक मन्दिर हैं। उन मन्दिरों में भी भगवान बुद्ध की विशाल एवं भव्य प्रतिमाएँ स्थापित है।

प्रति वर्ष चीन, जापान, श्रीलंका, थाइलैंड, म्यानमार, कोरिया आदि देशों के बौद्ध धर्मावलम्बी बहुत बड़ी संख्या में बोधगया आते हैं। तिब्बत के वर्तमान प्रधान धर्मगुरु दलाई लामा भी यहाँ की यात्रा कर चुके है। अब तक देश-विदेश के लाखों बौद्ध भिक्षु एवं अन्य यात्री इस धर्म स्थल की यात्रा कर चुके है।

आपको भी कभी अवसर मिले तो इस धर्म स्थल की यात्रा अवश्य करें और भगवान बुद्ध की पावन प्रतिमाओं के दर्शन का लाभ उठाएँ।

पूज्य पिताजी एवं पूज्या माताजी को मेरा सादर चरणस्पर्श सुना देंगे।

पता में,

श्री वीरेन्द्र कुमार

विमलालय

स्टेशन रोड, मुजफ्फरपुर

आपका प्रिय अनुज

नरेन्द्र


5 . प्रधानाध्यापक को एक पत्र लिखें जिसमें वर्णन हो कि आप दीन छात्र हैं और विद्यालय पुस्तक भंडार से आपको पाठ्यक्रम की पुस्तकें सहायता स्वरूप दी जाएँ।

उत्तर : –

सेवा में,

श्रीमान प्रधानाध्यापक,

राजकीय मध्य विद्यालय, चतरा ।

द्वारा : वर्ग शिक्षक ।

विषय : विद्यालय पुस्तक भंडार से पाठ्यक्रम की पुस्तकों की सहायता के संबंध में।

महाशय,

विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय का एक अत्यन्त दीन छात्र हूँ। मेरे पिताजी रिक्शाचालक है। भाड़े पर रिक्शा चलाकर उन्हें अत्यन्त अल्प आय होती है। उनकी अला आय से हमारे परिवार का भरण-पोषण बड़ी कठिनाई से हो पाता है। इस हेतु में पाठ्यक्रम की पुस्तकें खरीदने में पूर्णतः असमर्थ हूँ।

अतः श्रीमान से करबद्ध प्रार्थना है कि इस सत्र के लिए विद्यालय पुस्तक भंडार से पाठ्यक्रम की सभी पुस्तकें मुझे सहायता स्वरूप प्रदान करने की कृपा की जाय। श्रीमान की इस महती अनुकम्पा के लिए मैं सदा आभारी रहूँगा ।

दिनांक – 24-09-2022

श्रीमान का आज्ञापालक छात्र

अनिल कुमार

वर्ग क्रमांक : 3

षष्ठ वर्ग


6 . अपने विद्यालय में पुस्तकालय की स्थापना के लिए शिक्षा अधिकारी को एक आवेदन पत्र लिखें।

उत्तर : –

सेवा में,

नेतरहाट, 1996)

श्रीमान जिला शिक्षा पदाधिकारी,

सीवान।

विषय : विद्यालय में पुस्तकालय की स्थापना के संबंध में ।

महाशय,

विनम्र निवेदन है कि मैं मध्य विद्यालय, राजपुर (सीवान) के षष्ठ वर्ग का छात्र हूँ। मेरा विद्यालय सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में स्थित है। मेरे विद्यालय में पुस्तकालय की नितान्त आवश्यकता है। इस विद्यालय के अधिकांश छात्र-छात्राएँ विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में सम्मिलित होते है।

विद्यालय के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को पाठ्यक्रम की पुस्तकों के अतिरिक्त अच्छी ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों के अध्ययन की आवश्यकता होती है। विद्यालय में पुस्तकालय के अभाव के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस विद्यालय में अधिकांशतः निर्धन छात्र-छात्राएँ अध्ययन करते हैं। उनके अभिभावक पाठ्यपुस्तकों का भी प्रबंध ठीक से नहीं कर पाते हैं, तो अन्य पुस्तकें कहाँ से खरीद पाएँगे। पुस्तकालय के सम्बन्ध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक से हम अनेक बार आग्रह कर चुके हैं, पर कोष के अभाव में वे असमर्थ हो जाते हैं।

अतः श्रीमान से प्रार्थना है कि अपने कोष से इस विद्यालय के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना हेतु कुछ धनराशि आवंटित की व्यवस्था की जाए। पुस्तकों की खरीद, समाचार पत्र तथा कुछ पत्र-पत्रिकाओं की व्यवस्था हेतु तत्काल ₹25000 (पचीस हजार रुपयों) की व्यवस्था अपने कोष से की जाए।

इस महती अनुकम्पा के लिए समस्त विद्यालय परिवार आपका सदा आभारी रहेगा।

दिनांक : 23-09-2022

विश्वासभाजन

मंगलम्

एवं समस्त विद्यालय परिवार

मध्य विद्यालय, राजपुर (सीवान)।


7 . अपने प्रखण्ड विकास पदाधिकारी से अनुरोध करें कि जर्जर सड़क के निर्माण हेतु जवाहर रोजगार योजना से अनुदान स्वीकृत करने की कृपा करें।

उत्तर : –

सेवा में,

प्रखण्ड विकास पदाधिकारी,

बेनीपट्टी, मधुबनी।

विषय : सड़क निर्माण हेतु अनुदान प्रदान करने के संबंध में।

महाशय, विनम्र निवेदन है कि मेरा गाँव पूर्णतः बाढ़ प्रभावित क्षेत्र है। मेरे गाँव से कहीं भी आने जाने के लिए कच्ची सड़क है।

यह सड़क अत्यन्त जर्जर अवस्था में है। गाँववालों के सहयोग से यदा-कदा सड़क की मरम्मत कर दी जाती है, किन्तु बरसात के समय बाद आने पर इसकी दशा अत्यन्त बुरी हो जाती है।

जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं। आने-जानेवालों के लिए बराबर खतरा बना रहता है। सड़क के अभाव में ग्रामवासियों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

जवाहर रोजगार योजना के अन्तर्गत ऐसी छोटी सड़कों के निर्माण की योजना है। यदि सरकारी एजेंसी के हाथ में इस सड़क की मरम्मत अथवा इसके पक्कीकरण का कार्य सौंप दिया जाए, तो हम ग्रामवासियों की विभिन्न समस्याओं का समाधान हो जाएगा। इस हेतु, श्रीमान से निवेदन है कि जर्जर सड़क के निर्माण के लिए जवाहर रोजगार

योजना के अन्तर्गत अनुदान की निर्धारित सीश की स्वीकृति कर दी जाए, तो हम ग्रामवासी सदा आपका आभारी रहेंगे।

आशा है कि आप अपने स्तर से उचित राशि की यथाशीघ्र स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करेंगे।

दिनांक : 15.10.2012

विश्वासभाजन

नन्द कुमार एवं समस्त ग्रामवासी

पत्रा – अगई (मधुबनी)


8 . अपने पिता के पास एक पत्र लिखें जिसमें आपके सच्चे मित्र के गुणों का वर्णन ।

उत्तर : –

मधेपुरा

दिनांक : 18 अप्रैल, 2012

परम पूज्य पिताजी,

सादर चरणस्पर्श ।

आपका कृपा पत्र मिला अब आप पूर्ण स्वस्थ हैं, यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई। आपने मेरे सच्चे मित्र के गुणों के बारे में जानना चाहा है।

पिताजी, मेरा एक ही मित्र है — कुन्दन कुन्दन सच्चे अर्थ में मेरा मित्र है। वह पढ़ने-लिखने में अपने वर्ग में सबसे आगे है ही, खेल कूद में भी अग्रणी है। वह परिश्रमी, सत्यवादी, अनुशासित तथा समय का पाबन्द है। वह प्रत्येक स्थिति में मेरी सहायता करता है।

हम दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते हैं तथा छात्रावास में भी एक ही कक्ष में रहते हैं। उसी के सहयोग से मैं स्वस्थ रहता हूँ तथा वर्ग में भी प्रायः उसी के जैसा अंक पाता हूँ।

अन्य सहपाठी हम दोनों को सहोदर भाई समझते हैं। मैं अत्यन्त भाग्यशाली हूँ, जो मुझे कुन्दन जैसा शांत, गंभीर और सहृदय मित्र मिला है। शेष कुशल है।

पता : नया गांव मधेपुरा

करकमलो में,

आपका आज्ञापालक पुत्र

आनन्द


9 . बड़े भाई को अपनी परीक्षा की तैयारी से अवगत कराते हुए एक पत्र लिखें।

उत्तर : –

विमलालय दानापुर (पटना)

12 अगस्त, 2012

पूज्य बड़े भैया

सादर प्रणाम!

आपका कृपापत्र यथासमय मिला। आप बड़ों की दया से मैं यहाँ सकुशल हूँ और पूरे मनोयोग से अपनी परीक्षा की तैयारी में जुटा हूँ आप मेरी चिन्ता नहीं करें।

मेरी आगामी परीक्षा अब सन्निकट है। मैं उसके लिए पूरी निष्ठा और क्षमता के साथ तैयारी में लगा हूँ। गणित, अंग्रेजी और हिन्दी की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है।

बस, संस्कृत थोड़ी कठिन लगती है। फिर भी गुरुजनों के मार्गदर्शन में आवश्यक तैयारी चल रही है और आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि मैं परीक्षा में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होऊँगा। पूजनीया भाभीजी को सादर प्रणाम तथा नन्हे-मुन्नों को कृपया मेरा प्यार कह देंगे।

सेवा में,

श्री रघुकुल तिलक

पुराना स्टेशन

आपका प्यारा भाई

रामजी


10 . अपने पिता को कुछ रुपयों की आवश्यकता समझाते हुए एक पत्र लिखें।

उत्तर : –

मंगल भवन, मीठापुर

पटना – 800001

16 जुलाई, 2022

परम पूज्य पिताजी,

सादर प्रणाम!

आपका भेजा कृपा-पत्र गत 9 जुलाई को मिला। सब समाचार ज्ञात हुआ। आपलोगों की कृपा से मै यहाँ बड़े भैया के पास सकुशल हूँ और पूर्ण मनोयोग से अपनी पढ़ाई चला रहा हूँ।

मेरी आगामी परीक्षा में कुछ महीनों की देर है और मेरे गुरुजनों ने एक अच्छे गाइड की सहायता से परीक्षा की तैयारी करने की राय दी है, जिसका मूल्य ₹ 150 है।

आप तो समझ ही रहे होंगे कि यह रकम मैं बड़े भैया से माँगने में संकोच का अनुभव करता होऊँगा। क्योंकि उनके पास अधिक पैसे नहीं रहते हैं।

अतः कृपया बड़े भैया के पते पर ही उक्त रुपये मनीआर्डर द्वारा भेज दें ताकि मैं वांछित पुस्तक खरीद सकूँ पूजनीया माता एवं मौसीजी को प्रणाम तथा छोटे भाई-बहनों को मेरा प्यार कह देंगे।

सेवा में,

श्री मदन मोहन सिंह

आपका आज्ञाकारी पुत्र

सोनू


11 . अपने मित्र को, ग्रीष्मावकाश कैसे विताएँगे, इससे संबंधित एक पत्र लिखें।

उत्तर : –

गर्दनीबाग मध्य विद्यालय

पटना – 800001

प्रिय मित्र बैजू,

नमस्ते!

मैं यहाँ स्वस्थ और सानन्द रहते हुए पढ़ाई में लगा हुआ हूँ। आशा है, तुम भी वहाँ सकुशल होगे। तुम्हारा विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए कब से बन्द हो रहा है, उससे तुरंत अवगत कराना।

मेरे विद्यालय में आगामी 9 जून से छुट्टी हो रही है और विद्यालय 4 जुलाई को खुलेगा। इस अवधि में मैं चाचाजी के पास दिल्ली जाना चाहता हूँ, जहाँ वे ट्रांसपोर्ट विभाग में डिपो मैनेजर हैं। तुम तो उनसे मिल भी चुके हो और उन्होंने तुमसे दिल्ली घूमने का आग्रह भी किया था।

प्रिय मित्र, कृपया अपने पिताजी से अनुमति प्राप्त कर मुझे सूचित करो कि तुम कबतक दिल्ली जाने हेतु पटना आ रहे हो ? पत्र पाते ही मैं अपने भैयाजी से अनुरोध कर रेलगाड़ी में आरक्षण भी करवा लूंगा।

बड़ा मजा रहेगा। हम इस ग्रीष्मावकाश का सदुपयोग दिल्ली, आगरा, लखनऊ आदि में घूम घूमकर अपने अनुभवों का दायरा विस्तृत करने में करेंगे। पोत्तर शीघ्र देने का कष्ट करना और सबको मेरी ओर से यथायोग्य कहना।

सेवा में,

श्री विजयेन्द्र प्रसाद

द्वारा : श्री आर. पी. प्रसाद

खुश्कीबाग, गुलाबबाग, पूर्णिया

तुम्हारा अभिन्न मित्र

चिंटू


12 . अपनी माँ को एक पत्र लिखें जिसमें अपने छात्रावास जीवन का अनुभव हो।

उत्तर :

छात्रावास,

पटना कॉलेजियट स्कूल

पटना – 800004

7 जुलाई, 2012

मेरी पूजनीया माँ,

सादर प्रणाम!

तुम्हारे आशीर्वाद और ईश्वर की दया से मैं यहाँ स्वस्थ और सुखी हूँ। मेरी पढ़ाई भी बिलकुल ठीक-ठाक चल रही है।

माँ, तुमने आने के समय मुझे कहा था कि अपने छात्रावास जीवन के बारे में तुम्हें अवश्य लिखूं। इसलिए तुम्हारे आदेश का पालन कर रहा हूँ। यहाँ मेरे साथ लगभग 30 छात्र स्कूल के छात्रावास में अभी रह रहे हैं और हमसब का जीवन नियमित है।

रोज सवेरे 4 बजे बिछावन छोड़ना, 6 बजे तक नित्यक्रिया से निपटना और साढ़े 6 बजे पढ़ने बैठ जाना होता है। फिर 9 बजे से 10 बजे तक हम भोजन करके अपनी-अपनी कक्षाओं में चले जाते हैं, जहां से वापस होकर 5 से साढ़े 6 बजे तक स्कूल के अहाते में खेलते-कूदते हैं।

हमें नियम से दोनों शाम नास्ता भी मिलता है। संध्या 7 से 9 बजे तक स्टडी पीरियड चलता है और ठीक साढ़े दस बजे हम सोने चले जाते हैं।

माँ, तुम मेरी तनिक भी चिन्ता न करना। हमें प्रत्येक रविवार को अपने हॉस्टल सुपरिटेंडेंट के साथ शहर घूमने की अनुमति भी प्राप्त है।

कहने का मतलब यह कि अपने छात्रावास जीवन से मैं बहुत संतुष्ट हूँ और तुम्हारे आशीर्वाद से मुझे यहाँ अच्छा भी लगता है। केवल कभी-कभी तुम्हारी याद आती है, तो कुछ उदास हो जाता हूँ, बस । परम पूज्य पिताजी को प्रणाम और छोटे भाई-बहनों को प्यार कह देना।

सेवा में,

श्रीमती राधा रानी,

खरमन चक, भागलपुर

जिला – भागलपुर

तुम्हारा दुलारा

प्रेम प्रकाश


13 . अपने प्रधानाध्यापक को एक आवेदन-पत्र लिखें जिसमें अनुपस्थिति हेतु किए गए जुर्माने की माफी के लिए प्रार्थना की गई हो। अथवा, अपने प्रधानाध्यापक को अनुपस्थिति दंड माफ करने के सम्बन्ध में एक आवेदन पत्र लिखें।

उत्तर :

सेवा में,

प्रधानाध्यापक महोदय,

गर्दनीबाग मध्य विद्यालय, पटना – 800001

द्वारा : वर्गाध्यापक महोदय ।

महाशय, सविनय निवेदन है कि कल दिनांक 2 जुलाई, 2000 की मूसलधार वर्षा के कारण में अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं हो सका, क्योंकि मैं पुराना जक्कनपुर में रहता हूँ और उस क्षेत्र की सड़कें जलप्लावित हो गई थी।

अतएव प्रार्थना है कि अनुपस्थिति हेतु किया गया जुर्माना माफ करने की कृपा की जाये। जिसके लिए मै श्रीमान् का आभारी रहूँगा।

दिनांक – 10-10-2022

आपका आज्ञाकारी छात्र

अभिषेक राम

पाँचवीं कक्षा (ब)

क्रमांक – 9


14 . अपने प्रधानाध्यापक को एक प्रार्थना पत्र लिखकर निर्धन छात्र कोष से स्वीकृत किये जाने वाले अनुदान हेतु आवेदन करें ।

उत्तर : –

सेवा में,

प्रधानाध्यापक महोदय,

मध्य विद्यालय, देवघर।

द्वारा : वर्ग शिक्षक महोदय।

महाशय,

सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ और मैंने इसी वर्ष छठी कक्षा की वार्षिक परीक्षा प्रथम श्रेणी के अंकों के साथ उत्तीर्ण की है मेरे पिताजी का देहान्त हो चुका है और मेरे अभिभावक बड़े भैया की मासिक आय 25,000 रुपये से भी कम है, क्योंकि वे झारखंड सरकार के वित्त विभाग में चपरासी का कार्य करते हैं।

मेरे पूरे परिवार का पालन-पोषण मात्र मेरे बड़े भाई की उपर्युक्त आय से होती है। अतः करबद्ध प्रार्थना है कि निर्धन छात्रों की सहायता हेतु दिये जानेवाले मासिक अनुदान की स्वीकृति दी जाए ताकि मैं अपनी पढ़ाई चालू रख सकूँ।

दिनांक : 12-02-2022

आपका आज्ञाकारी छात्र

अखिलेश कुमार

वर्ग – सप्तम, क्रमांक-1


15 . अपनी बहन की शादी में सम्मिलित होने के लिए प्रधानाध्यापक के नाम एक आवेदन पत्र लिखें।

उत्तर : –

सेवा में,

श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय,

मध्य विद्यालय, मोहीउद्दीननगर (समस्तीपुर)

द्वारा : वर्ग शिक्षक महोदय

महाशय,

विनम्र निवेदन है कि मेरी बहन की शादी आगामी 18 मई, 2022 को होना निश्चित हुआ है, जो शादी मेरे पैतृक मकान सकरा (मुजफ्फरपुर) में संपन्न होगी।

उक्त अवसर पर मेरा परिवार 10 दिनों के लिए घर जाएगा। मैं भी इस शुभ कार्य में सहयोग करने के लिए सम्मिलित होना चाहता हूँ। सबलोग यहाँ से 12 मई को प्रस्थान करेंगे और 25 मई को पुनः लौट आएँगे। पहले जाकर हमलोगों को बाराती के स्वागत की व्यवस्था करनी है।

श्रीमान् को विदित हो कि पिताजी ने 12 मई से 25 तक की छुट्टी अपने विभाग से ली है। हमसब 12 मई को 12 बजे बस द्वारा यहाँ से प्रस्थान कर जाना चाहते हैं।

अतः श्रीमान् से प्रार्थना है कि 12 मई 2022 से 25 मई 2022 तक विद्यालय से अनुपस्थित रहने की अनुमति दी जाए। इस सहानुभूतिपूर्ण कृपा के लिए सदा मै आपका आभारी रहूँगा ।

दिनांक – 10.5.2022

आपका आज्ञाकारी छात्र

लाल बिहारी सिन्हा

वर्ग – पृष्ठ क्रमांक-3


16 . बरसात के दिनों में अपने गाँव या नगर की दुरवस्था का वर्णन करते हुए किसी अखवार के सम्पादक के नाम एक पत्र लिखें।

उत्तर : –

सेवा में,

सम्पादक महोदय,

दैनिक हिन्दुस्तान, पटना ।

महाशय,

मैं आपके जनप्रिय दैनिक पत्र ‘हिन्दुस्तान’ के माध्यम से बिहार सरकार का ध्यान अपने गाँव की दुरवस्था की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। मेरा गाँव सुल्तानपुर है जो गंगा नदी के ठीक किनारे पर है। पहले गंगा नदी एक किलोमीटर की दूरी पर थी, लेकिन कटाव के कारण अब निकट चली आई है। यह गाँव मोहिउद्दीननगर ब्लॉक में है।

गाँव से ब्लॉक तक कच्ची सड़क है जिसपर ईंटें बिछी हैं, लेकिन सड़क के आधे भाग की ईंट भी सवारियों के चलने के कारण उखड़ गई है, जिससे सड़क सवारियों के लिए जानलेवा हो गई है। गतवर्ष की वर्षा और बाढ़ ने सड़क को दोनों ओर से काटकर पगडंडी बना दिया है।

मेरा गाँव इस वर्ष भी कटाव का शिकार हो गया है। गाँव में लगभग बीस वर्ष पहले बिजली के खम्भे गाड़े गये थे, लेकिन अब तक बिजली की लाइन नहीं दी गई है। कटाव के कारण हुए विस्थापितों के बसाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इससे लगभग पचहत्तर हजार की आबादी का यह क्षेत्र तबाही से गुजर रहा है।

क्या मैं आशा करूँ कि इस वर्ष सड़क की मरम्मत बरसात से पहले हो जाएगी और गाँव के विस्थापितों के बसाने तथा बिजली की प्रतीक्षा में खड़े बिजली के खम्भों को प्रकाश देखने का अवसर मिल सकेगा ?

दिनांक – 23-03-2022

आपका विश्वासभाजन

अरविन्द कुमार

ग्राम – सुल्तानपुर, समस्तीपुर


17 . विद्यालय छात्रावास में रहने के लिए छात्रावास अधीक्षक को एक आवेदनपत्र दें जिसमें आपको छात्रावास में रहने का स्थान मिल जाय ।

उत्तर : –

सेवा में,

श्रीमान् छात्रावास अधीक्षक महोदय,

राँची कॉलेजिएट स्कूल छात्रावास, राँची ।

महाशय,

सेवा में सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के छठे वर्ग का छात्र हूँ। मेरा नामांकन इस वर्ष मॉडल स्कूल जाँच परीक्षा के आधार पर इस विद्यालय में छठे वर्ग में हुआ है।

मैं दूर गाँव का रहने वाला हूँ। मैंने इसलिए यहाँ नामांकन करवाया था कि मुझको छात्रावास में स्थान मिल जाएगा, लेकिन आठ महीने बीत गये अब तक मुझको छात्रावास में स्थान नहीं मिल सका है।

तत्काल मैं अपने एक सम्बन्धी के साथ रह रहा हूँ, लेकिन उनके यहाँ स्थान का अभाव है। उनके अपने भी तीन-तीन बच्चे हैं जिनको पढ़ने-लिखने में दिक्कत होती है।

मेरी अपनी पढ़ाई भी यहाँ ठीक से नहीं हो पा रही है। मैं ऐसी जगह वहाँ नहीं पा रहा हूँ जहाँ अपना गृह कार्य (होमवर्क) ठीक से कर सकूँ।

अतः श्रीमान् से विनम्र निवेदन है कि शीप मेरे आवास की व्यवस्था छात्रावास में करा दी जाए जिससे अपनी पढ़ाई ठीक से कर सकूँ। अब वार्षिक परीक्षा के मात्र तीन महीने बच गए हैं। इसी अवधि में मुझको अपनी पिछली और आगे की पढ़ाई करनी है।

दिनांक – 25-06-2022

श्रीमान का विश्वासी छात्र

अमरेन्द्र नारायण

वर्ग – पृष्ठ क्रमांक- 10


18 . अपने मित्र के पास एक पत्र लिखें जिसमें अपने विद्यालय में हुए पुरस्कार वितरण समारोह का वर्णन हो।

उत्तर : –

गिरिडीह

07 सितम्बर, 2022

प्रिय मित्र हरिकिशोर

नमस्ते!

तुम्हारा पत्र बहुत दिनों के बाद मिला मुझको ऐसा लगा जैसे कृष्ण ने अपने बालसखा सुदामा को याद किया। पत्र पढ़कर बड़ी प्रसन्नता हुई। विशेष यह जानकर कि गत परीक्षा में तुम्हारे सभी पत्रों के अंक बड़े अच्छे थे। मैं तो अपने विद्यालय की वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में व्यस्त था जो अगस्त में सम्पन्न हुई। इसके लिए पुरस्कार वितरण की तिथि 15 अगस्त निर्धारित की गई थी।

15 अगस्त के एक दिन पूर्व विद्यालय को नयी दुल्हन की तरह सजाया गया। विभिन्न प्रतियोगिताओं में लगभग तीन सौ प्रतियोगियों ने भाग लिया। सभी प्रकार के खेल-कूद का आयोजन अगस्त के आरम्भ में कर दिया गया था। प्रत्येक खेल में तीन-तीन प्रतियोगियों को योग्यताक्रम में चुना गया। इसके अतिरिक्त हर वर्ग में अच्छी उपस्थिति के लिए एक-एक पुरस्कार की योजना भी बनी।

राज्य के माननीय शिक्षामंत्री (मानव संसाधन विकास मंत्री) के करकमलों द्वारा पुरस्कार वितरण हुआ। पुरस्कार वितरण के बाद मंत्रीजी का सारगर्भित भाषण हुआ। मंत्री महोदय ने अपने सारगर्भित भाषण द्वारा हमछात्रों को पूर्ण अनुशासन के पालन की सलाह दी। क्या कहूँ मित्र!

वह दिन हमारे लिए बड़ा आनन्ददायक था। मुझे भी तीन पुरस्कार मिले। अन्त में प्राचार्यजी के धन्यवाद ज्ञापन के बाद समारोह सम्पन्न हुआ। पत्रोत्तर शीघ्र देना। अपने बड़ी से मेरा प्रणाम और बच्चों को प्यार कह दोगे।

सेवा में, श्री हरिकिशोर

द्वारा : श्री श्रवण कुमार, शिक्षक

उ. वि. टिकारी, गया

तुम्हारा अभिन्न मित्र

अविचल


19 . अपने लक्ष्य के बारे में पिताजी के पास एक पत्र लिखें। अथवा, अपने मित्र को बीस वाक्यों का एक पत्र लिखें, जिसमें ‘आप क्या बनना चाहते हैं और क्यों’ वर्णन होना चाहिए।

उत्तर : –

कंकड़बाग, पटना-20

15.05.2012

पूज्य पिताजी,

सादर प्रणाम!

अभी-अभी आपका कृपापत्र प्राप्त हुआ। अभी तो मैंने छठी श्रेणी में नाम लिखाया ही है, फिर भी न मालूम क्या आपने मेरे लक्ष्य के बारे में जिज्ञासा की।

जो बात मैं आपसे कहना चाहता था, वह आखिर आपने पूछ ही लिया। आप सोचते होंगे कि विज्ञान पढ़कर में चिकित्सक या अभियंता बनूँगा और रुपयों का अम्बार लगा दूंगा, परन्तु आपसे सच्ची बात कहता हूँ कि मैं न तो अभियंता बनना चाहता हूँ और न चिकित्सक ही।

मैं तो एक साधारण सिपाही बनना चाहता हूँ। देश का सिपाही! भारतमाता का सिपाही !

आप कहेंगे, सिपाही की जिन्दगी तो संगीन की नोक पर टिकी होती है। कब कोई बेरहम गोली उसकी छाती को छलनी कर जाएगी इसका कोई ठिकाना नहीं, किन्तु सच मानिए पिताजी!

जिस धरती पर मैं पैदा हुआ, जिसकी गोद में खेल-कूदकर बड़ा हुआ, उससे उऋण भला किसे हुआ जा सकता है ? सिपाहियों का जीवन दुःखों की दर्दनाक कहानी अवश्य है, किन्तु यदि वे न रहे, तो देश में खुशियों की बहार कैसे आगे ?

सिपाही को अपने देश के लिए घर मिटने में जो आनन्द है, वह और कहाँ ? आज भारत माता अपने ऐसे वीर नौजवान बेटी सिपाहियों को पुकार रही है, जो सर से कफन बाँधकर अपने को देश पर न्यौछावर करने को तैयार हो। पिताजी! ऐसा अवसर में खोना नहीं चाहता। कहा गया है।

“शहीदों के मजारों पर लगेगे हर बरस मेले, वतन पे मरनेवालों का यही बाकी निशा होगा

मैंने अपने अन्तःकरण की बात निवेदित कर दी। अब आप मुझे शुभाशीष दें कि मैं इसे अपने जीवन में कार्यान्वित कर सकूँ माँ को प्रणाम तथा मुन्नी को शुभ प्यार।

सेवा में,

श्री रामचन्द्र प्रसाद

ग्राम +पो – सोनवर्षा

भागलपुर

आपका आज्ञाकारी पुत्र

सुनील


20 . आपके माता-पिता, आपके भाई या भाइयों की तुलना में आपके साथ कैसा बर्ताव करते हैं, इस विषय में प्रकाश डालते हुए एक पत्र अपनी सहेली को लिखें।

उत्तर : –

आदर्श उच्च विद्यालय

बासोपट्टी, दरभंगा

25 फरवरी, 2022

प्रिय सखी अपर्णा,

मंगल कामना!

तुम्हारा पत्र एक सप्ताह पूर्व मिला था। क्षमा करना, मैंने पत्रोत्तर देने में विलम्ब किया। साँख! तुमने अपने पत्र में लिखा है कि मेरे माता-पिता मेरे भाइयों की तुलना में मेरे साथ कैसा व्यवहार करते है, इसके सम्बन्ध में तुमने जानकारी चाही है, तो लो सुनो मैं अपनी माता-पिता की दूसरी सन्तान हूँ।

मुझसे बड़े एक भैया है और मुझसे छोटा भी एक भाई है। हम तीनों भाई-बहनों में बड़ा स्नेह है। मेरे बड़े भैया कॉलेज के छात्र हैं और मेरा छोटा भाई अभी तीसरी कक्षा का छात्र है।

मेरे माता-पिता हम सभी भाई-बहन को समान प्यार देते हैं। उनको दृष्टि में सभी सन्तान बराबर है। हमारे पिताजी कॉलेज के अध्यापक है और माताजी स्थानीय विद्यालय की वरीय शिक्षिका हैं। हमारा परिवार शिक्षित होने के कारण बेटा-बेटी में कोई अन्तर नहीं मानता।

वे हमें समान दृष्टि से प्यार करते हैं। जहाँ तक में अनुभव करती हूँ मेरे माता-पिता भाइयों की तुलना में मुझे कम प्यार नहीं देते। एक शिक्षित, सभ्य और समझदार परिवार की यही निशानी है। दोनों भाइयों की मैं चहेती बहन हूँ।

मुझे अपने परिवार पर गर्व है। मुझे अगर छीक भी आ जाए तो सारा परिवार व्यथित हो उठता है। ऐसा परिवार ईश्वर सब को दे। भाइयों की तरह मेरी भी सारी माँगों की यथायोग्य पूर्ति की जाती है।

प्रिय सखी, तुम लिखना कि तुम्हारे माता-पिता भाइयों की तुलना में तुम्हारे साथ कैसा बर्ताव करते है। यदि तुम्हारे अनुकूल न हो, तो भी कोई बात नहीं। तुम अपने सद्व्यवहार से उन्हें अपने अनुकूल बना सकती हो। शेष कुशल है। पूज्य चाचाजी एवं पूज्या चाचीजी को मेरा सादर प्रणाम तथा अन्य सभी को मेरा यथायोग्य सुना देना।

सेवा में,

सुश्री अपर्णा

C/o पूर्ण प्रकाश

नवरतनपुर, हाजीपुर (वैशाली)

तुम्हारी अभिन्न सहेली

अनुपमा


Final Thoughts –

आप यह हिंदी व्याकरण के भागों को भी पढ़े –



Leave a Comment