मेरा प्रिय खेल पर निबंध हिंदी | Essay on My Favorite Sports in Hindi

मेरा प्रिय खेल पर निबंध – Mera Priya Khel Nibandh in Hindi 

मेरा प्रिय खेल पर निबंध

पुस्तकों से हमें ज्ञान मिला सकता है, पर वह ज्ञान किस काम का जिसे पचाने की शक्ति हमारे पास नहीं। यह शक्ति हमें मिलती है खेल से, खेल के मैदान से तथा व्यायाम से। पढ़ लिखकर सभी नवाब नहीं बनते। न खेलने -कूदने वाले सभी खराब हो जाता है।

भारत एक निर्धन देश है। अधिकांश लड़को को यहाँ “पाद कन्दुक” (गेंद) से ही संतोष करना पड़ता है। क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन में फुटबॉल की अपेक्षा अधिक खर्च होता है।

समय का जहाँ तक सम्बन्ध है, अन्य खेलो की अपेक्षा इसमें कम समय में अधिक स्फूर्ति और अधिक आनंद की उपलब्धि होती हैं। इस खेल में अधिक से अधिक अंगो का व्यायाम होता है।

अंग भंग होने की सम्भावनाएँ भी कम रहती है। क्रिकेट के खेल में पांच -छः दिन या कम से कम एक दिन लग जाते है। टेनिस में दो -दाई घंटे लग जाते है जबकि फुटबॉल में कुल डेढ़ घंटा ही समय चाहिए।

इस तरह फुटबॉल में धन और समय दोनों का व्यय कम, पर आनन्द कम नहीं। यह खेल अधिक निरापद है। इस खेल में खिलाड़ी और दर्शक दोनों को सभी खेलो से अधिक आनन्द आता है।

यह खेल दो दलों के बीच होता है। प्रत्येक दल में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी रहते है। साधारणतः यह खेल सन्ध्या समय खेला जाता है। सच्चे खिलाड़ी तुच्छ हार -जीत की परवाह नहीं करते।

जब तक खेल क्रम है, क्रीड़ाको में उत्साह है, उमंग है, स्फूर्ति है, अनुशासन है, प्रतिद्विंता के भाव है, पर खेल समाप्त होते ही परस्पर घनिष्ठतम मित्र की भांति एक दूसरे से दिल खोलकर मिलते है।

हर टीम अनुशासन के नियमो से बँधी रहती है। यही उनकी शक्ति होता है। खेल के अन्त तक क्रीड़ाको का मन आशा-निराशा के हिंडोले पर झूलता रहता है।

कभी विजय सामने आती-आती पराजय में बदल जाती है, पर कभी भी वे निराश नहीं होते। जीवन भी एक खेल है, अतः इस खेल में अपने उत्साह, उमंग और आनंद को बनाए रखने की पूरा चेष्टा करनी चाहिए।

Final Thoughts – 

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