भारतीय किसान पर निबंध हिंदी में – Indian Farmer Essay in Hindi Language

Bhartiya Kisan Par Nibandh in Hindi

ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण करते हैं, विष्णु पालन करते हैं। अन्न पैदा करने में किसान भी ब्रह्मा है। खेती इनके ईश्वरीय प्रेम का केंद्र है। इनका सारा जीवन पत्ते-पत्ते और फूल-फूल में बिखर रहा है।

केवल शाक-पात ही खा कर यह अपनी भूख की ज्वाला शांत करते हैं। इनके बच्चे मिट्टी में ही खेल-कूद कर बड़े हो जाते हैं।

इनको और इनके परिवार को गांव से बड़ा प्रेम होता है। उसकी यह सेवा करते हैं। सांय-प्रातः, दिन-रात विधाता इनके ह्रदय में अदभुत अध्यात्मिक भावों की सृष्टि करता है।

Indian Farmer Essay

गायें इनकी दूध देती है। स्त्रियां इनकी आज्ञाकारिणी है। मकान इनका पुण्य और आनंद का स्थान है। पशुओं को नहलाना, खिलाना-पिलाना, उनके बच्चे को अपने बच्चों की तरह सेवा करना, खुले आकाश के नीचे उनके साथ रातें गुजार देना क्या ही अमूल स्वाध्याय है।

यह किसान बड़े भोले-भाले हैं। किसान फकीर है, वीतराग सन्यासी है। उन्हें न मान का हर्ष है और ना अपमान का खेद, ना फटे कपड़े पहनने का दुख है और ना कभी अच्छे वस्त्र की प्रसनता।

न अज्ञानता से आत्म ग्लानि होती है और दरिद्रता से दीनता का आभास। यह कर्ज में ही जन्म लेते हैं, कर्ज में ही पलते हैं और कर्ज में ही मर जाते हैं।

चिलचिलाती धूप हो, सनसनाती बर्फीली हवा हो, तन-मन को कँपा देने वाली शीतलहरी हो, किसान अपने कर्म में व्यस्त है।

मूसलधार वर्षा हो रही है, बिजली कड़क रही है, छतें बैठने लगी, दीवारें गिरने लगी, फिर भी यह अपनी धुन में मस्त है।

इतना सब सहते हुए भी जो सबके लिए अन्न उपजाता है, सबका अन्नदाता है, वह स्वयं सपरिवार भूखे रहने पर विवश है।

कृषि प्रधान देश होने के नाते यहां की सरकार के द्वारा कृषि पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जाना आवश्यक है।

अनिश्चित मौनसून, बाढ़ तथा सूखा, पुराने ढंग की खेती, काम उत्पादन देने वाले बीजों का प्रयोग, दोषपूर्ण वितरण-प्रणाली, उत्पादित सामानों के कम मूल्य, कमजोर पशुधन, घरेलू उद्योगों का अभाव, खेतों का विभाजन तथा अपखंडन एवं ग्रामीण ऋणगस्तता आदि भारतीय किसानों को कमजोर किए हुए हैं।

इन्हें दूर करने के लिए सरकार द्वारा लघु सिंचाई योजनाओं के अतिरिक्त बहुउद्देशीय योजनाएं भी लागू की गई है।

इनसे सिचाई तो होगी ही तथा बड़ी मात्रा में बिजली का उत्पादन, बाढ़ पर नियंत्रण तथा आर्थिक विकास से संबंधित योजनाओं, पशु एवं चरागाह-विकास, फल-फूल, मत्स्य-पालन, रेशम-उत्पादन विकास योजनाओं की व्यवस्था पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई है।

इतना होने पर भी किसान की हालत में अपेक्षित सुधार नहीं हो पा रहा है। सरकार को भारतीय किसान के कृषि स्तर को बढ़ाने के लिए और भी कई प्रकार की योजनओं को शुरू करने की आवश्यकता हैं।

Final Thoughts – 

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