भारतीय लोकतंत्र पर निबंध – Democracy Essay in Hindi

प्राचीन यूनानी लेखकों ने लोकतंत्र को ऐसी सरकार माना है जिसमें सत्ता बहुत लोगों के हाथों में हो। अरस्तू ने इसको विकृत रूप में प्रयुक्त किया है।

प्रसिद्ध इतिहासकार हेरोडोटस ने लोकतंत्र को ऐसा शासन बताया है जिसमें राज्य की सर्वोच्च सत्ता संपूर्ण जाति की प्राप्त हो। अब्राहम लिंकन (अमेरिका के स्वर्गीय राष्ट्रपति) के अनुसार, — “लोकतंत्र जनता का जनता के लिए तथा जनता द्वारा शासन है।”

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प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ ब्राइस का कथन है कि, “प्रजातंत्र शासन का वह रूप है जिसमें राज्य के अधिकार किसी विशेष श्रेणी के लोगों को नहीं बल्कि समूचे समाज के लोग प्रदान किए जाते हैं।”

मेजिनी लिखते हैं, “सबसे अच्छी और सबसे अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों के द्वारा चलाई जाने वाली और उसकी उन्नति करने वाली सरकार लोकतंत्र कहलाती है।”

Essay on Indian Democracy in Hindi

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र ऐसी सरकार को कहा जाता है, जिसमें जनता को राज्य का अंतिम स्रोत समझा जाता है और जनता प्रत्यक्ष रूप से अथवा अपने प्रतिनिधियों के द्वारा शासन में भाग लेती हो।

यह स्पष्ट है कि जनता स्वयं शासन नहीं कर सकती और नहीं इसमें सारे राजनीतिक विषयों पर सर्व सम्मति ही संभव है। इसीलिए लोकतंत्र में प्राय: बहुमत का शासन होता है और वह बहुमत स्वार्थी न होकर सार्वजनिक हित की ओर ध्यान देता है और यह विशेष रूप से अल्पसंख्यक वर्गों के हितों की रक्षा करता है।

प्रो गिडिंग्स का कथन है कि लोकतंत्र शासन का स्वरूप भी हो सकता है, राज्य का भी, समाज तथा इन तीनों का मिश्रित रूप भी हो सकता है। लोकतंत्र सबसे अच्छी सरकार है।

लोकतंत्र में किसी विशेष वर्ग के हितों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है बल्कि साधारण जनता के हितों को सर्वोपरि समझा जाता है। इसीलिए लोकतंत्र को सर्वश्रेष्ठ सरकार समझा जाता है।

लोकतंत्र में सब वर्ग समान समझे जाते हैं और ऊँच-नीच, धनी-निर्धन, जाति-पाति, गोरी तथा काली नस्ल के सब भेद-भाव नष्ट कर दिए जाते हैं। उदाहरण स्वरूप भारत संसार में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यहाँ सब भेद-भाव नष्ट कर दिए गए हैं।

लोकतंत्र में जितनी स्वतंत्रता जनता को मिलती है उतनी स्वतंत्रता संसार के किसी अन्य देश में नहीं मिलती है। 16 अगस्त 1965 ई. को भारत सरकार के विरुद्ध कच्छ के समझौते के बारे में जो प्रदर्शन किए वह इसका उदाहरण है।

अन्य दलों ने भी कच्छ समझौते की तीव्र आलोचना की। संसार में लोकतंत्र के उदय से पहले निरंकुश राजतंत्र, अल्प जनतंत्र, अत्याचारी शासन इत्यादि प्रचलित रहे हैं परंतु उनमें आम जनता को कोई अधिकार प्राप्त न थे और वह शासकों की दया पर आश्रित थी।

शताब्दियों के संघर्ष के पश्चात लोगों ने अपने शासकों से कुछ अधिकार छीने और उनकी शक्तियों को सीमित करके लोकतंत्र स्थापित किए। इसीलिए लोकतंत्रीय संविधानों में आजकल कुछ मौलिक अधिकार दिए गए हैं जिसमें समता और स्वतंत्रता के अधिकार को प्रमुखता प्रदान की जाती है।

लोकतंत्र पर निबंध हिन्दी में

लोकतंत्र राज्य की प्रमुख शक्ति पर नहीं बल्कि सहमति पर खड़ा रहता है तथा यह व्यक्ति के अस्तित्व को राज्य के लिए न मानकर राज्य का अस्तित्व व्यक्ति के लिए मानता है।

इसके द्वारा जनता का विकास तथा उसे उन्नत करना सामाजिक कार्यों में उसकी रूचि जगाना है। लोकतंत्र जनता के लिए प्रशिक्षण स्कूल की भाँति कार्य करता है।

अतः हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र जनमत पर टिका हुआ है। लोकतंत्र में क्रांतियों का कम से कम भय रहता है क्योंकि इसमें जनमत का ध्यान रखा जाता है और लोक कल्याण की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है।

लोकतंत्र हमें शिक्षा देता कि हम सब अनुशासन का पालन करें और दूसरों की तरह प्रेम, सहानुभूति, सहायता तथा उपकार की भावना अपनाएँ। लोकतंत्र का संचालन स्वयं जनता के प्रतिनिधि करते हैं। अतः उन्हें एक प्रकार की ट्रेनिंग मिल जाती है।

लोकतंत्र में शासन जनता के प्रतिनिधि स्वयं चलाते हैं और वे किसी गलत काम करने से डरते हैं क्युकी वे संसद तथा जनता के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

शासन में वे अनेक विशेषज्ञों से सलाह लेते हैं और समाचार पत्रों की आलोचना की ओर भी विशेष ध्यान देते हैं। जनमत के भय से वे सरकार में फिजूल-खर्ची को रोकते हैं तथा मितव्ययिता के सिद्धांत का पालन करते हैं।

लोकतंत्र में सरकार यह मान कर चलती है कि प्रभुसत्ता का अंतिम स्रोत जनता है और हमें उससे भी मार्गदर्शन प्राप्त करना है। इस हेतु वयस्कों को मताधिकार दिया जाता है और उनसे नेतृत्व प्राप्त करने के लिए कुछ वर्षों के पश्चात चुनाव कराए जाते हैं।

इससे जनता को अपनी शक्ति का आभास होता है और उसमें जिम्मेदारी की भावना उत्पन्न होती है। लोकतंत्र में जनता समझती है कि सरकार हमारी है क्युकी यह लोगों के द्वारा चुनी जाती है।

लोगों का प्रशासन के संचालन में भाग लेने से उनमें जिम्मेवारी तथा देशभक्ति उत्पन्न होती है और उनकी रूचि प्रशासन में बढ़ती है। जनता और सरकार के बीच मतभेद की खाई पैदा नहीं होती है और लोग अपने आप को देश का निर्माता समझते हैं।

लोकतंत्र में सामाजिक एकता सबसे अधिक रहती है। लोकतंत्र में शासन बहुत तपे हुए नेताओं के हाथ में होता है। उनको जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है और वे बहुत प्रगतिशील विचार के होते हैं इसीलिए वे जनता के पूर्ण सहयोग से सब प्रकार की बुराइयों को दूर करके देश को शक्तिशाली बनाना चाहते हैं।

लोकतंत्र के विरुद्ध आरोप लगाया जाता है कि वह मूर्खों, अज्ञानियों, अशिक्षतों का शासन है। प्लूटो का कदर था कि शासन एक कला है, उसको साधारण व्यक्ति प्राप्त नहीं कर सकता है।

शासन को भली प्रकार से वे ही व्यक्ति चला सकते हैं जो बुद्धिमान और निपुण हो। परंतु लोकतंत्र अशिक्षित व्यक्तियों का शासन है। अरस्तु ने लोकतंत्र को सरकार का विकृत रूप माना है।

लोकतंत्र के बारे में कहा जाता हैं की लोकतंत्र से कार्य-कुशलता की क्षति होती है तथा इसमें इनके सिवाय कुछ भी नहीं है थोड़े से चतुर व्यक्ति जो अपने पक्ष में मतों का संग्रह बड़ी सफलता के साथ कर लेते हैं और शासन करते हैं।

Final Thoughts – 

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