अवतरण लेखन क्या होता हैं। Avtaran Lekhan in Hindi Grammar

अवतरण को अंग्रेजी में ‘पाराग्राफ’ कहते हैं। किसी विषय पर सुन्दर ढंग से एक पाराग्राफ में उस विषय के सार को उपस्थित करने को अवतरण लेखन कहा जाता है।

अवतरण-लेखन निबन्ध का हो लघुरूप है। अवतरण के सभी वाक्य एक-दूसरे से सम्बद्ध होते हैं। इसका कोई भी वाक्य निरर्थक नहीं होता है।

कुछ मुख्य बातें :

1 . जिस विषय पर अवतरण लिखना हो उसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए।

2 . विषय की आवश्यक बातों को अपने दिमाग में स्थिर कर लेना चाहिए।

3 . प्रसंग के अनुसार तथ्यों को क्रमबद्ध रूप से उपस्थित करना चाहिए।

4 . अवतरण-लेखन का एक ही उद्देश्य होना चाहिए। 5. अवतरण की भाषा सरल, स्पष्ट और भावपूर्ण होनी चाहिए।


उदाहरण :

1 . अशोक की प्रजावत्सलता

अशोक एक महान् सम्राट् थे, जिन्होंने प्रजा की भलाई के लिए बहुत से काम किये। उन्होंने अपने विशाल राज्य की प्रजा की सुविधा के लिए लम्बी-लम्बी सड़कें बनवाईं। सड़कों के दोनों ओर छायादार वृक्ष लगवाये। सड़कों के किनारे निश्चित दूरी पर कुएँ खुदवाये और सराये बनवायी। वे चोरों और लुटेरों को कठोर दण्ड देते थे। प्रजा को सताने वाले अपने सैनिकों को भी वे दण्डित करते थे।

2 . भारतीय नारी

भारतीय नारियों का इतिहास बड़ा उज्ज्वल रहा है। इतिहास साक्षी है कि यहाँ की नारियों ने जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों से बढ़-चढ़कर काम किया है। नारियों ने अपने त्याग और तपस्या के तल पर नये समाज के निर्माण में सहयोग दिया है। सती अनुसूया, अरुन्धती, सीता, सती सावित्री एवं मदालसा भारतीय इतिहास की अमर विभूतियाँ हैं। भारत की नारियों ने सदा अपना बलिदान देकर युग का मार्ग-दर्शन किया है।

3 . गंगा नदी

गंगा भारत की एक धार्मिक और पवित्र नदी है। यह भारतीयों के लिए माता के समान स्नेहमयी है। यह गंगोत्री से निकलकर बंगाल की खाड़ी तक अपने दोनों किनारे के भागों को जलसिक्त करती है। हमारी सभ्यता और संस्कृति का विकास इसी नदी के किनारे हुआ है। यह हमारी सभ्यता और संस्कृति की ध्वजवाहिका है। केवल जीवन में ही नहीं, मरने के बाद भी गंगा हमें अपने जल में स्थान देकर पवित्र करती है।

4 . सावन हरे न भादो सूखे

प्रस्तुत लोकोक्ति का प्रयोग प्रकृति की एक विशेष परिस्थिति में किया जाता है। वर्षा ऋतु का आरंभ यो तो अषाढ़ महीने से ही माना जाता है, पर सावन और भादो वर्षा ऋतु का यौवन-काल होता है। सावन महीने में चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई पड़ती है। उस हरियाली को देखकर किसानों का मन प्रसन्नता से झूम उठता है। भादों में वर्षा की झड़ी लगातार लगी रहती है। सावन और भादो—इन दोनों महीनों में यदि वर्षा की अनुकूलता रहती है, तो किसानों के लिए ये वरदान बन जाते हैं। किन्तु मौनसून की प्रतिकूलता के कारण यदि इन दोनों महीनों में आकाश बादल-विहीन होता है और वर्षा नहीं होती, तो सूखा पड़ने की आंशका हो जाती है। लोगों में अकाल का भय हो जाता है। ऐसी ही परिस्थिति में लोग कहने लगते हैं— ‘सावन हरे न भादो सूखे’ ।

5 . दस की लाठी एक का बोझ

प्रस्तुत लोकोक्ति का अर्थ अत्यन्त भावपूर्ण है। यह लोकोवित हमें एकता का सन्देश देती है। इसका सामान्य अर्थ है ‘एकता में महान शक्ति है। कोई एक व्यक्ति चाहे तो किसी बड़े कार्य का सम्पादन अकेला नहीं कर सकता। वह कार्य उसके लिए बोझ बन जाएगा। वही कार्य यदि मिलजुलकर किया जाए, तो उस कार्य का सम्पादन आसान हो जाएगा। यहाँ ‘दस’ का अर्थ ‘समूह’ या ‘एकता’ से है। संसार का ऐसा कोई भी कार्य नहीं, जो एकता के बल पर सम्पन्न नहीं किया जा सके। कठिनतम कार्य भी दस अर्थात् एकता के बलपर आसान बना दिया जाता है। परिवार, समाज और राष्ट्र की उन्नति सदा एकता पर ही आधारित होती है। भारत की स्वतंत्रता के पीछे वही सामूहिक शक्ति थी। किसी एक व्यक्ति द्वारा यह कार्य सर्वथा असंभव था अतः यह कथन सर्वथा सत्य है कि ‘दस की लाठी एक का बोझ ।’

6 . जल में रहकर मगर से वैर

प्रस्तुत लोकोक्ति का प्रयोग इस अर्थ में किया जाता है कि हम जिस व्यक्ति के अधीन कार्य करें अथवा जो हमसे अधिक शक्तिशाली व्यक्ति हो उसके साथ शत्रुता नहीं मोल लेनी चाहिए। जल का जीव मगरमच्छ जल में अत्यन्त शक्तिशाली होता है। जल में रहने पर हाथी जैसा ‘शक्तिशाली जानवर भी मगरमच्छ का सामना नहीं कर सकता। जल में मगर का ही साम्राज्य होता है। जलजीव मगर से वैर मोल लेकर भला जीवित कैसे रह सकता है। कोई सामान्य कर्मचारी यदि अपने उच्च अधिकारी से वैर मोल लेगा, तो उसकी नौकरी सुरक्षित नहीं रह सकती है। उसकी भलाई तो इसी में है कि वह अपने अधिकारी के साथ सामंजस्य रखे, उसकी आज्ञा का पालन करे। इसी प्रकार यदि समाज के शक्तिशाली या प्रभुत्वशाली व्यक्ति के साथ वैर मोल लिया जाय तो कभी उचित नहीं हो सकता। यदि कोई उससे शत्रुता का बर्ताव करता है, तो उस व्यक्ति का जीवन सदा खतरे में ही रहेगा। संभवतः उसे जीवन से ही हाथ धोना पड़ सकता है। बुद्धिमानी तो इसमें है कि वैसे व्यक्ति से कम सम्पर्क रखा जाए। यदि रखे तो उससे मैत्री सम्बन्ध ही रखे। सच ही, पानी में रहकर मगर से वैर नहीं किया जा सकता है।

7 . उत्तम विद्या लीजिए जदपि नीच पै होय

प्रस्तुत सूक्ति वाक्य कविवर रहीम द्वारा रचित एक दोहे की अर्द्धाली है। यह सूक्ति जीवन के एक महान सत्य का उद्घाटन करती है। यहाँ कवि के कथन का तात्पर्य है कि महान् प्रत्येक स्थिति में महान् होता है। ‘नीच’ का सामान्य अर्थ होता है ‘हीन व्यक्ति’ या ‘दुर्गुणों से भरा व्यक्ति’ किन्तु यहाँ ‘नीच’ का अर्थ है निम्न वर्ण या जाति। यदि निम्न वर्ण या जाति का व्यक्ति उत्तम विद्या से युक्त अर्थात् विद्वान है, तो उससे निःसंकोच शिक्षा ग्रहण की जा सकती है। श्रेष्ठ विद्या किसी के पास हो, तो उसकी श्रेष्ठता में किसी प्रकार की कमी नहीं होगी। सोना एक मूल्यवान धातु है। यदि वह गन्दे स्थान में भी पड़ा हो, तो उसके मूल्य में कोई कमी नहीं आएगी। लोग उसे उस गन्दे स्थान से भी अवश्य उठा लेंगे। कमल कीचड़ में खिलकर भी अपनी महत्ता नहीं खोता, वरन् देवताओं के शीश पर स्थान पाता है। उसी प्रकार श्रेष्ठ विद्या यदि निम्न वर्ण या जाति के पास हो, तो उसे ग्रहण करने में किसी प्रकार की झिझक नहीं होनी चाहिए।


अभ्यास :

1 . अवतरण लेखन किसे कहा जाता है ?

2 . अवतरण लेखन में किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए ?

3 . भारतीय किसान पर एक अवतरण लिखें।

4 . हिमालय पर एक अवतरण लिखें ।


Final Thoughts –

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